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फेफड़े की बीमारी पर शुरू में ही ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है वरना यह बीमारी टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस भी बन सकती है.

  लंग्स शरीर के बेहद जरूरी अंगों में से होते हैं. श्वसन क्रिया लंग्स पर निर्भर करती है. लंग्स का खराब होना कई बीमारियों का वाहक बन सकता है. ऐसे में इस का सुरक्षित रहना अतिआवश्यक हो जाता है और तब जब बात दिनप्रतिदिन बढ़ते पौल्यूशन की हो. फेफड़े हमारे शरीर में औक्सीजन का संचार करते हैं. ये खून को शुद्ध करते हैं और सांस को फिल्टर करते हैं. यदि किसी व्यक्ति के फेफड़े में वायरस, बैक्टीरिया या फंगस विकसित हो जाएं तो फेफड़े संक्रमित हो जाते हैं. फेफड़े जिन छोटीछोटी थैलीनुमा संरचनाओं से मिल कर बने होते हैं उन में संक्रमण के चलते मवाद जमा होने लगता है. इस से सूजन होने लगती है और सांस लेने में दिक्कत होती है. इसे ही लंग इन्फैक्शन कहते हैं. इस की वजह से निमोनिया हो जाता है. जब यह संक्रमण बड़े क्षेत्र में फैल जाता है तो यह ब्रोंकाइटिस नामक बीमारी में बदल जाता है. फेफड़े की बीमारी पर शुरू में ही ध्यान दिए जाने की जरूरत होती है वरना यह बीमारी टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस भी बन सकती है. फेफड़े की बीमारी आजकल बहुत तेजी से बढ़ रही है. प्रदूषण, धूम्रपान, नजला आदि के कारण फेफड़ों की बीमारी बहुत आम होती जा रही

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