मतभेद के लिए हमेशा जगह हो लेकिन डिस्कनेक्ट कभी ना हो, : पीएम मोदी

 


                                      (नए संसद भवन के शिल्यान्यास में पीएम मोदी )

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10/12/2020 को नई दिल्ली में नए संसद भवन का विधिपूर्वक शिलान्यास और भूमि पूजन  सर्वधर्म प्रार्थना के साथ किया। करीब 971 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला नया संसद भवन आने वाले सौ सालों की जरूरतों के हिसाब से बनाया गया है। यह संसद भवन अक्टूबर 2022 तक पूरा होगा और संभावना है कि उस साल का शीतकालीन सत्र नए संसद भवन में होगा।

नया संसद भवन अत्याधुनिक, तकनीकी सुविधाओं से युक्त होगा और इसमें सोलर सिस्टम से ऊर्जा बचत भी होगी। नई लोकसभा मौजूदा आकार से तीन गुना बड़ी होगी और राज्यसभा के आकार में भी वृद्धि की गई है। ये नया संसद भवन न केवल पुराने भवन से बड़ा होगा, बल्कि इसका आकार भी गोल न होकर त्रिभुजाकार होगा। भवन को अक्टूबर 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य है ताकि देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर इसी भवन में सत्र का आयोजन हो। नए संसद भवन में लोकसभा का आकार मौजूदा से तीन गुना होगा।

पुराने संसद भवन की तुलना में इसमें ज्यादा कमेटी रूम और पार्टी दफ्तर होंगे।  इसमें राज्यसभा का भी आकार बढ़ेगा। कुल 64,500 वर्गमीटर क्षेत्र में नए संसद भवन का निर्माण टाटा प्रोजेक्ट्स लि. की ओर से कराया जाएगा। नए संसद भवन की डिजाइन एचसीपी डिजाइन प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने तैयार की है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष रतन टाटा, केंद्रीय मंत्री एचएस पुरी, राज्य सभा के उप सभापति हरिवंश सहित कई केंद्रीय मंत्री, बड़ी संख्या में सांसद और कई देशों के राजदूत इस ऐतिहासिक अवसर के गवाह बने।

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच भूमि पूजन कार्यक्रम आरंभ हुआ और इसके संपन्न होने के बाद शुभ मुहुर्त में प्रधानमंत्री ने परम्परागत विधि विधान और भूमि पूजन करने के साथ ही नये संसद भवन की आधारशिला रखी। नए संसद भवन के शिलान्यास समारोह में विभिन्न धर्मगुरुओं ने ‘सर्व धर्म प्रार्थना’ की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है और मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि पॉलिसी में अंतर हो सकता है, पॉलिटिक्स में भिन्नता हो सकती है, लेकिन हम जनता की सेवा के लिए हैं, इस अंतिम लक्ष्य में कोई मतभेद नहीं होना चाहिए।

पीएम मोदी ने कहा कि वाद-संवाद संसद के भीतर हों या संसद के बाहर, राष्ट्रसेवा का संकल्प, राष्ट्रहित के प्रति समर्पण लगातार झलकना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें याद रखना है कि वो लोकतंत्र जो संसद भवन के अस्तित्व का आधार है, उसके प्रति आशावाद को जगाए रखना हम सभी का दायित्व है.हमें ये हमेशा याद रखना है कि संसद पहुंचा हर प्रतिनिधि जवाबदेह है। ये जवाबदेही जनता के प्रति भी है और संविधान के प्रति भी है।

उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के इस मंदिर में इसका कोई विधि-विधान भी नहीं है.इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेंगे। इसमें चुनकर आने वाले जन-प्रतिनिधि. उनका समर्पण, उनका सेवा भाव, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेगा.उनका आचार-विचार-व्यवहार, इस मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा करेगा। पीएम ने कहा कि मतभेद के लिए हमेशा जगह हो लेकिन डिस्कनेक्ट कभी ना हो, इसी लक्ष्य को लेकर हमारा लोकतंत्र आगे बढ़ा है। उन्होंने कहा कि देश में अब भारतीयता के विचारों के साथ नई संसद बनने जा रही है, हम देशवासी मिलकर संसद के नए भवन को बनाएंगे। अगर हम अपने लोकतंत्र का गुणगान करेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब दुनिया कहेगी ‘इंडिया इज़ मदर ऑफ डेमोक्रेसी’।

पीएम ने कहा कि मैं अपने जीवन में वो क्षण कभी नहीं भूल सकता जब 2014 में पहली बार एक सांसद के तौर पर मुझे संसद भवन में आने का अवसर मिला था, तब लोकतंत्र के इस मंदिर में कदम रखने से पहले, मैंने सिर झुकाकर, माथा टेककर लोकतंत्र के इस मंदिर को नमन किया था। हमारे वर्तमान संसद भवन ने आजादी के आंदोलन और फिर स्वतंत्र भारत को घड़ने में अपनी अहम भूमिका निभाई है।

बता दें कि नई संसद पुरानी से बड़ी होगी और इसका डिजाइन भी काफी अलग रहने वाला है। ये नया संसद भवन ना केवल पुराने भवन से बड़ा होगा बल्कि इसका आकार भी गोल ना होकर त्रिभुज के जैसा होगा। करीब 100 पुराने इस भवन को अब एक नया रंग रूप मिलने जा रहा है। नये संसद भवन का निर्माण 2022 तक पूरा होना है। देश की आजादी के 75वें वर्ष में नये भवन में बैठक शुरू होगी। नया संसद भवन आधुनिक तकनीक से लैस होगा। इसमें सुरक्षा के लिए अत्याधुनिक उपकरण लगे होंगे। साथ ही भविष्य को ध्यान में रखते हुये लोकसभा और राज्यसभा कक्षों में सदस्यों के लिए सीटों की संख्या भी बढ़ाई जायेगी।

शिलान्यास के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाएगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने नई संसद सहित कई सरकारी इमारतों वाले सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट में किसी भी निर्माण पर फिलहाल रोक लगा रखी है, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 5 नवंबर को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।