क़र्ज़ा बढ़ रहा है ,लोगों को बैंक, सूदख़ोर इन दिनों कर रहे हैं बुरी तरह परेशान


 सरकार आत्मनिर्भरता पर बल दे रही है। लेकिन वे लोग कैसे आत्मनिर्भर हों, जिनके रोज़गार छिन चुके हैं और सिर पर क़र्ज़ा बढ़ रहा है। ऐसे लोगों को बैंक, सूदख़ोर इन दिनों बुरी तरह परेशान कर रहे हैं। सरकारी सिस्टम में दोष का आलम यह है कि कमज़ोर तबक़ा सरकारी तंत्र में सुनवाई नहीं होने से वे ग़ैर-सरकारी तंत्र का सहारा ले रहे हैं। साहूकारों सेक़र्ज़ा ले रहे हैं

पांडव नगर निवासी दिल्ली के किशन कुमार शर्मा का कहना है कि वे एक निजी कम्पनी में सन् 2019 में काम करते थे। लेकिन पारिवारिक समस्या के चलते उनको नौकरी छोडऩी पड़ी। कुछ समय बाद आर्थिक संकट गहराने लगा। परिवार वालों की सलाह पर उन्होंने प्रोवीजन स्टोर खोलने के लिएक़र्ज़ा लेने के लिए सरकारी बैंकों से लेकर निजी बैंकों तक तामाम चक्कर लगाये, लेकिनक़र्ज़ा नहीं मिला। फिर उन्होंने साहूकार से एक लाख क़र्ज़ा लेकर किराये की दुकान पर प्रोवीजन स्टोर फरवरी, 2020 में खोला। अचानक मार्च, 2020 में लॉकडाउन के लगने से उनकी दुकान बन्द होने से सारा सामान दुकान में सड़ गया और ख़राब हो गया। फिर जून, 2020 से लेकर मार्च, 2021 तक दुकान चलने लगी। अब फिर सरकार ने लॉकडाउन लगा दिया। ऐसे में अब न तो वे दुकान का किराया निकाल पा रहा है और न साहूकार का क़र्ज़ा दे पा रहे हैं। अब साहूकार के आदमी उन्हें आये दिन धमकाते रहते हैं। उन्होंने बताया कि अगर दुकान भी खोलते हैं, तो सरकारी तंत्र परेशान करता है कि दुकान के काग़ज़ दिखाओ, ये करो, वो करो या कुछ लेन-देन करो।

ऐसे हालात में उनके परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट गहरा रहा है। इसी तरह नोएडा के म्यू-1 और म्यू-2 के लोगों का कहना है कि सरकार तामाम दावे कर रही है कि वह ग़रीबों के रोज़गारों पर आँच नहीं आने देगी। लेकिन सरकारी तंत्र इस क़दर तानाशाह है कि जो पढ़े-लिखे युवा अपनी छोटी-मोटी दुकानें चलाकर आत्मनिर्भरता पर काम कर रहे हैं, उनकी दुकानों को बन्द कराया जा रहा है और प्रताडि़त भी किया जा रहा है। म्यू-1 में रहने वाले राजकुमार का कहना है कि सरकार कहती है कि बैंक सेक़र्ज़ा आसानी मिलेगा। लेकिन ज़मीनी स्तर पर देखा जाए, तो बैंक में 10,000 के मामूलीक़र्ज़ा के लिए भी महीनों के चक्कर लगाने के बाद हीक़र्ज़ा नहीं मिलता है। बैंक कई ख़ामियाँ निकालकरक़र्ज़ा नहीं देते हैं। यही वजह है कि साहूकारों का कारोबार पनप और फल-फूल रहा है। साहूकार सरकारी सिस्टम में ख़ामियों का जमकर लाभ उठाते हैं और ज़रूरतमंदों को मनमाने सूद परक़र्ज़ा देकर उनकी ज़मीनें और घर हथियाने की कोशिशों में लगे रहते हैं।