पेसा एक्ट :- जल-जंगल-जमीन संबंधित अनेकों अधिकार

 

 मध्य प्रदेश  के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है पेसा के नियम सामाजिक समरसता के साथ लागू होंगे।। 89 जनजातीय ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले जनजातीय ग्रामों में यह नियम लागू होंगे। यहां जो ग्राम सभा बनेगी उसमें स्थानीय समुदाय की सहभागिता रहेगी।   जल-जंगल-जमीन संबंधित अनेकों अधिकार जो हमारे जनजातीय समुदाय की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक थे वह अब हमारी सरकार देने जा रही है ।

मध्य प्रदेश में पेसा एक्ट लागू होने की मंगलवार से आधिकारिक घोषणा कर दी गई है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की उपस्थिति में शहडोल में आयोजित जनजातीय गौरव दिवस के विशेष कार्यक्रम में जनजातीय समुदाय के हित में पेसा एक्ट को अधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया  है। पेसा एक्ट लागू करने वाला मध्यप्रदेश देश का 7वां राज्य बन गया है। इससे पहले 6 राज्य हिमाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र ने पेसा कानून बनाए हैं। इसका  उद्देश्य जनजातीय  समाज को  को स्वशासन प्रदान  करने के साथ ही ग्राम सभा को सभी गतिविधियों का मुख्य केन्द्र बनाना है।

पेसा कानून क्या है

आदिवासियों के लिए बने कानून की रीढ़ माने जाने वाले पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों की पारंपरिक प्रणाली को मान्यता दी गई है। केंद्र ने पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र के लिए विस्तार) (पेसा) अधिनियम 1996 कानून लागू किया। मध्य प्रदेश में आदिवासी नेता और पूर्व सांसद  दिलीप सिंह भूरिया की अध्यक्षता में बना गई समिति की अनुशंसा पर यह एक्ट बनाया गया था। 24 दिसंबर 1996 को पेसा कानून देश में लागू हुआ था लेकिन मध्यप्रदेश में ही यह कानून लागू नहीं हो सका था।

73वां भारतीय संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में पंचायती राज्य की व्यवस्था की गई है, इसी संशोधन के नियम-2 में यह उपबंध है कि पंचायतों में महिलाओं एवं अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए संख्या के आधार पर आरक्षित कर लाभ दिया जाए। इसी पर पेसा एक्ट पारित किया गया। आदिवासी परम्परा, रीति-रिवाजों, संस्कृति का संरक्षण और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए यह एक्ट बनाया गया है। इस अधिनियम के अंतर्गत ग्राम सभा में एक ग्राम समिति होगी। उस समिति का अध्यक्ष अनुसूचित जनजाति समुदाय की ही व्यक्ति होगा। ग्राम समिति ही ग्राम के अहम निर्णय लेगी। नशीले पदार्थों पर प्रतिबंध, बाजारों की देख-रेख, ऋण वसूली, पलायन करने वालों की जानकारी रखने का जिम्मा भी ग्राम सभा को सौपा गया है ।

इस अधिनियम में जनजातीय समाजों की ग्राम सभाओं को अत्यधिक ताकत दी गई है। प्रत्येक गांव में एक ग्राम सभा होगी जिसमें वे सभी व्यक्ति शामिल होंगे जिनका नाम ग्राम स्तर पर पंचायत के लिये तैयार की गई मतदाता सूची में शामिल है। प्रत्येक ग्राम सभा सामाजिक एवं आर्थिक विकास के कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं को स्वीकृति देगी, इसके पहले कि वे ग्राम स्तरीय पंचायत द्वारा कार्यान्वयन के लिए हाथ में लिये जायें। इस अधिनियम द्वारा संविधान के भाग 9 के पंचायतों से जुड़े प्रावधानों को जरूरी संशोधनों के साथ अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित करने का लक्ष्य है। गरीबी उन्मूलन और अन्य कार्यक्रमों के लिये लाभार्थियों को चिन्हित करने तथा चयन के लिये भी ग्राम सभा ही उत्तरदायी होगी। पंचायतों को ग्राम सभा में इस आशय का प्रमाणपत्र लेना होगा कि उन्होंने इन कार्यक्रमों व योजनाओं के संबंध में धन का उचित उपयोग किया है। अनुसूचित क्षेत्रों में लघु जल निकायों की योजना बनाने तथा उसका प्रबंधन करने का कार्य उपयुक्त स्तर की पंचायतों को सौंपा जाएगा। अनुसूचित क्षेत्रों में गौण खनिजों के लिये लाइसेंस या खनन पट्टा देने के लिये ग्राम सभा पंचायत के उचित स्तर की सिफारिशों को अनिवार्य बनाया जाएगा।

 

पेसा एक्ट- पहला अधिकार है जमीन का

गांव की जमीन के और वन क्षेत्र के नक्शा, खसरा, बी-1 आदि ग्राम सभा को पटवारी और बीट गार्ड हर साल उपलब्ध कराएंगे। गांव का रिकार्ड लेने बार-बार तहसीलों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। यदि राजस्व अभिलेखों में कोई गलती पाई जाती है तो ग्राम सभा को उसमें सुधार के लिए अपनी अनुशंसा भेजने का पूरा अधिकार होगा। अधिसूचित क्षेत्रों में बिना ग्राम सभा की सहमति के किसी भी प्रोजेक्ट के लिए गांव की जमीन का भू-अर्जन नहीं किया जाएगा। गैर जनजातीय व्यक्ति या कोई भी अन्य व्यक्ति छल-कपट से, बहला-फुसलाकर, विवाह करके जनजातीय भाई-बहनों की जमीन पर गलत तरीके से कब्जा करने या खरीदने की कोशिश करें तो ग्राम सभा इसमें हस्तक्षेप कर सकेगी।

 यदि ग्राम सभा को ये बात पता चलती है तो वह उस भूमि का कब्जा फिर से जनजातीय भाई-बहनों को दिलवाएगी। यदि ग्राम सभा को ऐसा करने में कोई कठिनाई होती है तो वो भूमि का कब्जा वापस दिलाने के लिए मामले को उपखण्ड अधिकारी को भेज सकेगी। अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अनुशंसा के बिना खनिज के सर्वे, पट्टा देने या नीलामी की कार्यवाही नहीं की जा सकेगी। खनिज पट्टो की स्वीकृति में अनुसूचित जनजाति की सहकारी सोसायटियों, महिला आवेदकों और पुरूष आवेदकों को अपनी-अपनी श्रेणियों में प्राथमिकता दी जाएगी।

पेसा एक्ट- दूसरा अधिकार है जल का

गांव के तालाबों का प्रबंधन अब ग्राम सभा करेगी। ग्राम सभा तालाब / जलाशय में मछली पालन और सिंघाड़ा उत्पादन आदि गतिविधियां कर सकती है। इससे होने वाली आमदनी ग्राम सभा के पास जाएगी। तालाब / जलाशय में किसी भी प्रकार की गंदगी, कचरा, सीवेज आदि जमा न हो, प्रदूषित न हो, इसके लिए ग्राम सभा किसी भी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए कार्यवाही कर सकेगी। 100 एकड़ तक की सिंचाई क्षमता के तालाब और जलाशय का प्रबंधन संबंधित ग्राम पंचायत द्वारा किया जाएगा।

 पेसा एक्ट- तीसरा अधिकार है जंगल का

ग्राम सभा अपने क्षेत्र में स्वयं या एक समिति गठित करके गौण वनोपजों जैसे अचार गुठली, करंज बीज, महुआ, लाख, गोंद, हर्रा, बहेरा, आंवला आदि का संग्रहण, विपणन, मूल्य निर्धारण और विक्रय कर सकेंगे। यदि एक से अधिक ग्राम सभा चाहे तो वे ये काम मिलकर भी कर सकती है। अभी तक या तो सरकार या फिर व्यापारी लघु वनोपजों का मूल्य तय किया करते है लेकिन अब रेट कन्ट्रोल की कमाण्ड ग्राम सभा के माध्यम से हमारे जनजातीय भाई- बहनों के हाथ में आ जाएगी। ग्राम सभा या उनकी समिति अब ये तय कर सकेगी कि एक निश्चित दर से कम रेट पर वे अपनी वनोपज नहीं बेचेंगे। यदि ग्राम सभा चाहेगी और कहेगी कि वनोपज का संग्रहण और विपणन वनोपज संघ करे, तभी वनोपज संघ ये कार्यवाही कर सकेगा। वनोपज के दामों को तय करने का अधिकार अब ग्राम सभा के हाथ में चला जाएगा और गरीब आदिवासी भाई-बहनों की वनोपज औने- पौने दामों में नही बिकेगी। ग्राम सभा चाहे तो तेंदू पत्ते का संग्रहण और विपणन खुद कर सकेगी। ग्राम सभा को समिति भंग करने का अधिकार भी होगा। अभी तक यह अधिकार डीएफओ को था। बफर क्षेत्र में पर्यटन से जो भी आय होगी वह भी इन समितियों को जायेगी।

 पेसा एक्ट- चौथा अधिकार है श्रमिकों के अधिकारों के संरक्षण का

ग्राम में हर पात्र मजदूर को मांग आधारित रोजगार मिले, इसके लिए ग्राम सभा साल भर की कार्ययोजना बनाएगी और पंचायत इसका अनुमोदन करेगी। मनरेगा जैसी रोजगारमूलक योजनाओं के अंतर्गत गांव में कौन-कौन से कार्य लिए जाएंगे ये ग्राम सभा ही तय करेगी। यदि मनरेगा के कार्यों के लिए बनाए गए मस्टर रोल में कोई फर्जी नाम है या फिर कोई गलती है तो ग्राम सभा इस गलती को ठीक करवाएगी। गांव से लोगों का अनावश्यक पलायन न हो, भोले-भाले जनजातीय भाई-बहनों को काम के नाम पर एजेण्टों के माध्यम से अन्य शहरों में ले जाकर मानव व्यापार, शोषण या बंधुआ मजदूरी का श्राप न झेलना पड़े इसके लिए पेसा नियमों में महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए है। अब बिना ग्राम सभा को सूचित किए न तो कोई व्यक्ति काम करने के लिए गांव से बाहर जा सकेगा और न ही ग्राम सभा की बिना जानकारी के बाहरी व्यक्ति काम के लिए आ सकेगा। ग्राम सभा के पास काम के लिए बाहर जाने वाले सभी लोगों की सूची रहेगी। काम के लिए अपने गांव से ग्राम सभा को बिना बताए जाने को नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और उल्लंघन करने वाले के विरूद्ध कार्यवाही की जा सकेगी। गांव के जो लोग मनरेगा आदि में मजदूरी कर रहे है, उनके काम के बदले उन्हें पूरी मजदूरी मिले, इसकी चिंता भी ग्राम सभा करेगी। ग्राम सभा ये ठहराव प्रस्ताव कर 7/9 सकेगी कि सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मजदूरी से कम में किसी से काम न लिया जाए। यदि कोई साहूकार किसी का जनजातीय भाई-बहन का शोषण करता है, निर्धारित से अधिक ब्याज लेता हैं, तो ऐसी स्थिति में उसकी शिकायत ग्राम सभा अपनी अनुशंसा के साथ उपखण्ड अधिकारी को भेज सकती है। यदि किसी हितग्राहीमूलक योजना में गांव के 100 हितग्राही पात्र है तो उनमें से मापदण्ड अनुसार मेरिट का क्रम ग्राम सभा निर्धारित कर सकती है ताकि पात्र हितग्राहियों में से उसे सबसे पहले लाभ मिले, जिसे इसकी सबसे ज्यादा और शीघ्र आवश्यकता है।

पेसा एक्ट- पांचवा अधिकार है स्थानीय संस्थाओं, परंपराओं और संस्कृति के संरक्षण का

अब अधिसूचित क्षेत्रों में कोई भी नई शराब / भांग की दुकान ग्राम सभा की अनुमति के बिना नहीं खुलेगी। यदि 45 दिन में ग्राम सभा कोई निर्णय नहीं करती है, यह स्वयमेव मान लिया जाएगा कि नई दुकान खोलने के लिए ग्राम सभा सहमत नहीं है और फिर दुकान नहीं खोली जाएगी। यदि कोई शराब या भांग की दुकान गाँव के अस्पताल, स्कूल, धार्मिक स्थल आदि के आस-पास हो तो उसे अन्यत्र शिफ्ट करने की अनुशंसा ग्राम सभा सरकार को भेज सकेगी। ग्राम सभा किसी स्थानीय त्यौहार के अवसर पर उस दिन पूरे दिन के लिए या कुछ समय के लिए शराब दुकान बंद करने की अनुशंसा कलेक्टर से कर सकती है। एक वर्ष में कलेक्टर 4 ड्राय डे के अंतर्गत दुकान को उस क्षेत्र के लिए बंद कर सकेंगे। नशे की लत को हतोत्साहित करने के लिए ग्राम सभा न केवल किसी सार्वजनिक स्थान पर शराब का उपयोग प्रतिबंधित कर सकती है, बल्कि व्यक्तिगत रूप से उपयोग किए जाने वाले मादक द्रव्यों की सीमा भी कम कर सकती है। गांव में अवैध शराब के विक्रय को रोकने का काम भी ग्राम सभा द्वारा किया जाएगा। हर गांव में एक शांति एवं विवाद निवारण समिति होगी। यह समिति परंपरागत पद्धति से गांव के छोटे-मोटे विवादों का निराकरण कराएगी और ग्राम में शांति व्यवस्था बनाए रखने में मदद करेगी। इस समिति में कम से कम एक तिहाई सदस्य महिलाएं होंगी। नियमों में ये भी प्रावधान किया गया है कि यदि ग्राम के किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो तो इसकी सूचना पुलिस थाने द्वारा तत्काल गाँव की शांति एवं विवाद निवारण समिति को दी जाएगी। अधिसूचित क्षेत्रों में ग्राम पंचायते बाजारों और मेलों का प्रबंधन करने में सक्षम होगी। ग्राम सभा द्वारा इस बात की भी चिंता की जाएगी कि गांव के स्कूल ठीक चले, स्वास्थ्य केन्द्र ठीक चले, आंगनवाड़ियां ठीक चले। नियमों में ग्राम सभाओं को निम्न संस्थाओं का निरीक्षण एवं मॉनीटरिंग करने की शक्ति दी गई है. – इसमें स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, आंगनवाड़ी, आश्रम शालाएं, छात्रावास शामिल है।